Sunday, 28 January 2018

दिल के तराने

अँखियाँ मेरी हो गयी ऐसी
तेरी ही रति हो गयी जैसी 


पैरों की आहट अब तेरी गति है
सुनते कहा है जब तेरी जमी है 


दिल की न पूछो हुआ क्या इसे है
धड़कन बढ़ी है सांसें मनचली है


हाथ का क्या है साथ हैं तेरे
कलम है मेरी शब्द सारे  तेरे ||


अँखियाँ मेरी हो गयी ऐसी
तेरी ही रति हो गयी जैसी...



                  ...राहुल मिश्रा 


" आखें क्या, जिस्म क्या, सब कुछ भुला दिया


तुझे भूलने की ज़िद में, खुद को मिटा दिया ||   "


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