Tuesday, 27 March 2018

पागल कलम

मेरी कलम भी बस, तेरे अल्फाज़ लिखती है
मेरे जश्बात लिखती है, तेरे अहसास लिखती है 


कभी कलियाँ ये लिखती है, कभी गालियाँ ये लिखती है
तेरे चंचल सी वादी में, दिले-ए-गुलज़ार लिखती है

  

तेरे मोहल्ले से गुज़रती, आँख लिखती है
तेरे अलगाव लिखती है, मेरे बदलाव लिखती है


मेरी आश लिखती है, तेरी तलाश लिखती है
ये पागल कलम तो, तुझे हर बार लिखती है


मेरी कलम भी बस, तेरे अल्फाज़ लिखती है
मेरे जश्बात लिखती है, तेरे अहसास लिखती है 


                 
                                          ....राहुल मिश्रा

    

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