Tuesday, 26 June 2018

अंदाज-ए -बयां

1.)
अँधेरी रात को , उजाले की किरण दे दे
मोहब्बत करने की एक तो वजह दे दे
माना की झूट ही झूट फैला है हर तरफ
न दे सको कुछ  तो , इस सच को जहर दे दे 


2.)
होकर कुछ बेधड़क अब मैं चलने लगा हूँ
चाल धीमी है मगर फासलों से तेज हूँ
 है धरा और गगन की दुरी कुछ कम नहीं
जो भी है मगर हौसलों की ऑन है
ये दुरी भी एक निश्चित मान है
आज धरती तो कल आसमान है
तो कल आसमान है ...


                       ...राहुल मिश्रा 

Friday, 8 June 2018

देखे हैं

टूटे इश्क़ के अम्बर, नदी शैलाब देखे हैं 

रोशन घरों में भी, बुझते चिराग़ देखे हैं  


हवा के रुख बदलते ही, बदलते भाव देखे हैं 

खुदगर्जी के बीजों में, पनपते बाग़ देखे हैं 


शरद मौसम में पसीना, तर -बतर कर दे 

लोगों के बदलते, ऐसे व्यवहार देखे हैं


फरेबी इस दुनिया में, झूठे वादे भी देखे हैं

निभाते कोई वादे हैं, बाकि तोड़े ही तोड़े हैं  


टूटे इश्क़ के अम्बर, नदी शैलाब देखे हैं 

रोशन घरों में भी, बुझते चिराग़ देखे हैं  ...


                                     ...राहुल मिश्रा





 

     


     

 

सत्य सिर्फ़ अंत है

सत्य सिर्फ़ अंत है  सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है  समय से ...