Sunday, 6 May 2018

मुझे इल्ज़ाम देने को

बरस के बदली ये दिल को, मधुर एहसास देने को
बहा के सैकड़ों गम को, मुझे अल्फाज़ देने को 
 


शब्दों से पिरोने को, जुबाँ-ए- खास होने को 
पापों को धुले ऐसे, बनारस घाट होने को 


वो आएँ मुझे मेरे, सरे इल्ज़ाम देने को
मेरी सब चिठ्ठीयां, सब पैगाम देने को
  


ज़ेह्म में सोचकर, मधुर एक गीत गाने को
वो आएँ मेरे दर पे, कई वजहें बताने को 


हो आख़री तूफ़ा, बस मुझको मिटाने को
मगर आएँ वो, अपनी सूरत दिखाने को 
 


बरस के बदली ये दिल को, मधुर एहसास देने को
बहा के सैकड़ों गम को, मुझे अल्फाज़ देने को 


                                   ---राहुल मिश्रा 

 

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