Monday, 30 July 2018
Friday, 13 July 2018
आँसू का रिश्ता
चंद पन्नों में सिमटी हुई जिंदगी
आँसुओ से भिगोती है ये जिंदगी
मौका जब था ख़ुशी का आँख नम कर दिया
ग़म में आखों को ग़म से तर-बतर कर दिया
ऋतू चाहे जो हो मौसम फ़र्क क्या पड़ा
बारिसों में बस आँखों पे परदा पड़ा
थी गर्मी जब बस उसम से भरी
आँखों में ना जाने क्या सुलगा दिया
धुंध में जब सब धुंधला हुआ
बर्फ़ में फिर आँसू पिघला हुआ
आँख जब तक है आँसू आयेंगे ही
खुशी ग़म में रुलायेंगे भी
मुस्कुराते हुए, आँसू ख़ुशियों के लिए
एक दिन हम जहाँ से जायेंगे भी ||
चंद पन्नों में सिमटी हुई जिंदगी
आँसुओ से भिगोती है ये जिंदगी ...
---राहुल मिश्रा
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सत्य सिर्फ़ अंत है
सत्य सिर्फ़ अंत है सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है समय से ...
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सत्य सिर्फ़ अंत है सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है समय से ...
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मेरी जिंदगी वही थी, बस मायने अलग थे सब रो के जी रहे थे, हम हस के पी रहे थे सब रास्ते वही थे, सौ आँधियाँ चली थीं सब सावन बने थे, मेरी आँख ...
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तू सामने बैठे मैं फूट के रो लूँ सब कह दूँ, तेरी तकलीफ़ भी सुन लूँ मेरी बेबसी सब उस दिन तू जान जाएगी मेरी खुशियों की वजह तू पहचान...
