Friday, 13 July 2018

आँसू का रिश्ता

चंद पन्नों  में सिमटी हुई जिंदगी  

आँसुओ से भिगोती है ये जिंदगी  


मौका जब था ख़ुशी का आँख नम कर दिया
ग़म  में आखों को ग़म से तर-बतर कर दिया 


ऋतू चाहे जो हो मौसम फ़र्क क्या पड़ा
बारिसों में बस आँखों पे परदा पड़ा  


थी गर्मी जब बस  उसम से भरी
आँखों में ना जाने क्या सुलगा दिया


धुंध में जब सब धुंधला हुआ
बर्फ़ में फिर आँसू पिघला हुआ  


आँख जब तक है आँसू आयेंगे ही
खुशी ग़म में रुलायेंगे भी
 

मुस्कुराते हुए, आँसू ख़ुशियों के लिए
एक दिन हम जहाँ से जायेंगे भी || 


चंद पन्नों  में सिमटी हुई जिंदगी
आँसुओ से भिगोती है ये जिंदगी ...


                        ---राहुल मिश्रा 


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