Tuesday, 19 December 2017

बस मन की

हाले दिल क्या कहें, कैसे मुस्कुराते रहे 

कुछ तो कमी रह गयी, जाने कैसे कहे 

सब के लब पे मुस्कुराहट देते रहें, 

उसमे खुद्बखुद खुश होते रहें 


पर हाल अब कुछ वैसे नहीं, 

वो लोग अब हम जैसे नहीं

कुछ ने कहा समय बदल गया,

हमें लगा की कुछ नहीं बस

दिल ही बदल गया  


किस्मत को क्या कोसूं ,

बस वो मन बदल गया

अल्फाज़ हैं मेरे मन में 

मगर वो एहसास निकल गया 


सपने देखने का शौक क्या 

सही-गलत हालात क्या 

जिस्म तो है या नहीं क्या पता

गर अब उस जिस्म में वो जान क्या ?


हाले दिल क्या कहें, कैसे मुस्कुराते रहे 

कुछ तो कमी रह गयी, जाने कैसे कहे 


                                ---राहुल मिश्रा 


     

   

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