चलो कुछ और लिखता हूँ ,कलम को कुछ और घिसता हूँ|
निकल आये एक अनूठी बात , जिसे मैं न सोच सकता हूँ ||
कुरेद कर देखो एक सरिया को, लोहे की परख मिल जाएगी |
वो चमक जो दब गयी थी जंग के अन्दर, निखरकर सामाने आएगी ||
मुश्किल नहीं है कुछ भी पाना इस ज़हां में ,कोशिस कर के देखिये |
इबादत सच्ची हो तो रब भी आ जाता है ,बन्दों से मिलने के लिये ||
मन मार कर भी जीना क्या जीना हैं ,जिद तो कर के देखिये |
राहें मुश्किल हो सकती हैं , मगर नामुमकिन मत समझिये ||
चलो कुछ और लिखता हूँ ,कलम को कुछ और घिसता हूँ|......
------------------------------------राहुल मिश्र
निकल आये एक अनूठी बात , जिसे मैं न सोच सकता हूँ ||
कुरेद कर देखो एक सरिया को, लोहे की परख मिल जाएगी |
वो चमक जो दब गयी थी जंग के अन्दर, निखरकर सामाने आएगी ||
मुश्किल नहीं है कुछ भी पाना इस ज़हां में ,कोशिस कर के देखिये |
इबादत सच्ची हो तो रब भी आ जाता है ,बन्दों से मिलने के लिये ||
मन मार कर भी जीना क्या जीना हैं ,जिद तो कर के देखिये |
राहें मुश्किल हो सकती हैं , मगर नामुमकिन मत समझिये ||
चलो कुछ और लिखता हूँ ,कलम को कुछ और घिसता हूँ|......
------------------------------------राहुल मिश्र
bahut khoob.
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