Thursday, 13 July 2017

चलो कुछ और लिखता हूँ

चलो कुछ और लिखता हूँ ,कलम को कुछ और घिसता हूँ|
निकल आये एक अनूठी बात , जिसे  मैं न सोच सकता हूँ ||

कुरेद कर देखो एक सरिया को, लोहे की परख मिल जाएगी |
वो चमक जो दब गयी थी जंग के अन्दर, निखरकर सामाने आएगी ||

मुश्किल नहीं है कुछ भी पाना इस ज़हां में ,कोशिस कर के देखिये |
इबादत सच्ची हो तो रब भी आ जाता है ,बन्दों से  मिलने के लिये || 

मन मार कर भी जीना  क्या जीना हैं ,जिद तो कर के देखिये |
राहें  मुश्किल हो सकती हैं , मगर नामुमकिन मत समझिये ||

चलो कुछ और लिखता हूँ ,कलम को कुछ और घिसता हूँ|......

------------------------------------राहुल मिश्र 

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