मेरे मन में जो उठते यूँ , कुछ एहसास ऐसे हैं |
जो मैं केवल अपने दिल में , महसूस करता हूँ ||
उमंगें उमड़ कर लेती हैं ,जो कुछ दिल में हिचकोले |
मोहबत इस को कहते हैं ,क्या ? मेरे दिल ऐ अलबेले ||
तराने पहेले भी सुनता ,और गुनगुनाता था |
मगर अब तरानों में, अजब सी मस्ती होती है ||
शब्दों से बयाँ करना ,नहीं मुमकिन हैं ये हालत |
मगर चाह कर भी मैं ,इसे बतला नहीं सकता ||
जो कुछ शब्द थे मेरे, वे हो गए मेरे ही मन के पहरेदार|
रहेमत है इन्ही पेहेरेदारों की , ये एहसास अब तक जिन्दा हैं ||
जो कुछ मेरे मन में है, वे जबां पे न आए |
डरता हूँ की ये एहसास ,न संग ले जाए ||
मेरे मन में जो उठते यूँ , कुछ एहसास ऐसे हैं |
------------------------------राहुल मिश्रा
जो मैं केवल अपने दिल में , महसूस करता हूँ ||
उमंगें उमड़ कर लेती हैं ,जो कुछ दिल में हिचकोले |
मोहबत इस को कहते हैं ,क्या ? मेरे दिल ऐ अलबेले ||
तराने पहेले भी सुनता ,और गुनगुनाता था |
मगर अब तरानों में, अजब सी मस्ती होती है ||
शब्दों से बयाँ करना ,नहीं मुमकिन हैं ये हालत |
मगर चाह कर भी मैं ,इसे बतला नहीं सकता ||
जो कुछ शब्द थे मेरे, वे हो गए मेरे ही मन के पहरेदार|
रहेमत है इन्ही पेहेरेदारों की , ये एहसास अब तक जिन्दा हैं ||
जो कुछ मेरे मन में है, वे जबां पे न आए |
डरता हूँ की ये एहसास ,न संग ले जाए ||
मेरे मन में जो उठते यूँ , कुछ एहसास ऐसे हैं |
------------------------------राहुल मिश्रा

Nice poem.
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