Tuesday, 18 July 2017

मेरे मन के एहसास

मेरे मन में जो उठते  यूँ ,  कुछ एहसास ऐसे हैं |
जो मैं  केवल अपने दिल में , महसूस करता हूँ ||

उमंगें उमड़ कर लेती हैं ,जो कुछ दिल में हिचकोले |
मोहबत इस को कहते हैं ,क्या ? मेरे दिल ऐ अलबेले ||

तराने पहेले भी सुनता ,और गुनगुनाता था |
 मगर अब  तरानों में, अजब सी मस्ती होती है ||

शब्दों  से बयाँ करना ,नहीं मुमकिन हैं ये हालत |
मगर चाह कर भी मैं ,इसे बतला नहीं सकता ||

जो कुछ शब्द थे मेरे, वे हो गए मेरे ही मन के पहरेदार|
रहेमत है इन्ही पेहेरेदारों की , ये एहसास अब तक जिन्दा हैं ||

जो कुछ मेरे मन में है, वे जबां पे न आए |
डरता हूँ की ये एहसास ,न संग ले जाए ||

मेरे मन में जो उठते  यूँ ,  कुछ एहसास ऐसे हैं |

------------------------------राहुल मिश्रा

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