Monday, 28 August 2017
जीने की वजहें
कुछ छोटी सी जो यादें ,इस दिल में समेटी हैं |
ये जीने की वजहें बड़ी, मुश्किल से मिलती हैं|
सही हों या गलत फ़रक ,पड़ता नहीं हम पर |
कुछ छोटी सी जो यादें ,इस दिल में समेटी हैं |
Sunday, 20 August 2017
एक कविता माँ को समर्पित
माता के आँचल का व पल ,न भूल पाया है कोई भी |
उस "माँ" ने भी न भुला है ,मुख से निकला वह पहेला "माँ "||
यूँ तो हर दर पर सिर झुकता ,न झुका है माँ क दर पे |
गर झुका सिर माँ क दर पे ,फिर उसको कोई झुका न पाया है ||
तेरे आँखों में आसूं थे ,माँ की आँखें भी नम थीं |
तेरे चेहरे की लाली में ,माँ का चेहरा भी चमका था ||
जिसके आशिष से, उपजी ये कविता |
उस देवतुल्य माँ को शत-शत नमन हमारा है ||
---------------------राहुल मिश्रा
सावन और तेरी याद
आसमा पे कुछ बदल छाने लगे हैं
तेरी याद फिरसे दिलाने लगे हैं |
जो बीते कुछ दिन तेरी शोहबत में
याद उन दिनों की दिलाने लगे हैं ||
अब बादल घने होने लगे हैं
आखों में आँसू पिरोने लगे हैं |
उधर धरती को भीगाने लगे हैं
इधर मेरे गालो को भीगने लगे हैं ||
बिजलियों की गर्जना सुन रहा हूँ
या मेरे सिसकियों की आवाज हैं |
सहेम जाता था जिससे वही आवाज है
फ़रक बस ये मेरी ही दिल की बात है ||
आसमा पे कुछ बदल छाने लगे हैं
तेरी याद फिरसे दिलाने लगे हैं |
....................................राहुल मिश्रा
Tuesday, 15 August 2017
मेरी अपनी सी दुनिया
ख्यालों की ख्वाबों की , मेरी अनोखी दुनिया है |
जहाँ बस मै हु ,मेरी और इस दुनिया का खुदा है ||
न डर है और न कोई, परेशानी महसूस होती है |
लक्ष्य जो सोचकर आया , करम भी वो ही होते हैं ||
न फिक्र है किसी की , न ही कोई जिक्र होता है |
मै बस मशगुल रहता हु ,अपनी ही दुनिया में ||
यु तो हर किसी की है ,अपनी सी ही एक दुनिया |
मगर सब के हालत नहीं ऐसे , जो देखे ये दुनिया ||
-------------राहुल मिश्रा
जहाँ बस मै हु ,मेरी और इस दुनिया का खुदा है ||
न डर है और न कोई, परेशानी महसूस होती है |
लक्ष्य जो सोचकर आया , करम भी वो ही होते हैं ||
न फिक्र है किसी की , न ही कोई जिक्र होता है |
मै बस मशगुल रहता हु ,अपनी ही दुनिया में ||
यु तो हर किसी की है ,अपनी सी ही एक दुनिया |
मगर सब के हालत नहीं ऐसे , जो देखे ये दुनिया ||
-------------राहुल मिश्रा
Monday, 7 August 2017
Wednesday, 2 August 2017
दिल की बात हवाओं के साथ
गुनगुनाती हवा , मुस्कुराती हवा |
मेरे लब से तेरे दिल ,तक ये जाती हवा ||1||
थोड़ी सी मस्तियाँ , थोड़ी सी खुशियाँ |
अपने में ही समेटे , ले जाती हवा ||2 ||
कुछ ख्यालों की , कुछ ख्याबों की बात |
साथ लेकर ये जाती ,मेरे दिल की बात ||3 ||
रुख ये ही रहे तेरा, मेरे लिए |
मुस्कुराता रहूँ मैं , यूँ ही तेरे साथ ||4 ||
गर जो बदला ये रुख , तेरा मेरे लिए |
मर ही जाऊँ ना मैं , यूँ ही तेरे लिए ||5 ||
जिस्म जिंदा रहे पर , तू ये ना समझ |
रूह भी उसमे बची , होगी कहीं ||6||
डरता हूँ मैं इन ख्यालों , से ही बस |
हकीकत में हुआ तो ,रहूँ ना अपने बस ||7||
प्राथना है मेरी बस , यही उस रब से |
बदले ना ये तेरा रुख ,कभी मेरे लिये ||8 ||
गुनगुनाती हवा , मुस्कुराती हवा |...
.........................................राहुल मिश्रा
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सत्य सिर्फ़ अंत है
सत्य सिर्फ़ अंत है सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है समय से ...
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सत्य सिर्फ़ अंत है सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है समय से ...
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मेरी जिंदगी वही थी, बस मायने अलग थे सब रो के जी रहे थे, हम हस के पी रहे थे सब रास्ते वही थे, सौ आँधियाँ चली थीं सब सावन बने थे, मेरी आँख ...
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तू सामने बैठे मैं फूट के रो लूँ सब कह दूँ, तेरी तकलीफ़ भी सुन लूँ मेरी बेबसी सब उस दिन तू जान जाएगी मेरी खुशियों की वजह तू पहचान...

