गुनगुनाती हवा , मुस्कुराती हवा |
मेरे लब से तेरे दिल ,तक ये जाती हवा ||1||
थोड़ी सी मस्तियाँ , थोड़ी सी खुशियाँ |
अपने में ही समेटे , ले जाती हवा ||2 ||
कुछ ख्यालों की , कुछ ख्याबों की बात |
साथ लेकर ये जाती ,मेरे दिल की बात ||3 ||
रुख ये ही रहे तेरा, मेरे लिए |
मुस्कुराता रहूँ मैं , यूँ ही तेरे साथ ||4 ||
गर जो बदला ये रुख , तेरा मेरे लिए |
मर ही जाऊँ ना मैं , यूँ ही तेरे लिए ||5 ||
जिस्म जिंदा रहे पर , तू ये ना समझ |
रूह भी उसमे बची , होगी कहीं ||6||
डरता हूँ मैं इन ख्यालों , से ही बस |
हकीकत में हुआ तो ,रहूँ ना अपने बस ||7||
प्राथना है मेरी बस , यही उस रब से |
बदले ना ये तेरा रुख ,कभी मेरे लिये ||8 ||
गुनगुनाती हवा , मुस्कुराती हवा |...
.........................................राहुल मिश्रा
No comments:
Post a Comment