Wednesday, 2 August 2017

दिल की बात हवाओं के साथ

गुनगुनाती    हवा ,  मुस्कुराती   हवा |
मेरे लब से तेरे दिल ,तक ये जाती हवा ||1||

थोड़ी सी मस्तियाँ , थोड़ी सी खुशियाँ |
अपने में ही समेटे , ले जाती  हवा ||2 ||

कुछ ख्यालों की , कुछ ख्याबों की बात |
साथ लेकर ये जाती ,मेरे दिल की बात ||3 ||

रुख ये  ही रहे  तेरा,  मेरे  लिए |
मुस्कुराता रहूँ मैं , यूँ ही तेरे साथ ||4 ||

गर जो बदला ये रुख , तेरा मेरे लिए |
मर ही जाऊँ ना मैं , यूँ ही तेरे लिए ||5 ||

जिस्म जिंदा रहे पर , तू ये ना समझ |
रूह भी उसमे बची , होगी कहीं ||6||

डरता हूँ मैं इन ख्यालों , से ही बस |
हकीकत में हुआ तो ,रहूँ ना अपने बस ||7||

प्राथना है मेरी बस , यही उस रब से |
बदले ना ये तेरा रुख ,कभी मेरे लिये ||8 ||

गुनगुनाती    हवा ,  मुस्कुराती   हवा |...

.........................................राहुल मिश्रा 




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