Sunday, 20 August 2017

सावन और तेरी याद

आसमा पे कुछ बदल छाने लगे हैं
तेरी याद फिरसे दिलाने लगे  हैं |
जो बीते  कुछ दिन तेरी शोहबत में
याद उन दिनों की  दिलाने लगे हैं  ||


अब बादल घने होने लगे हैं
आखों में आँसू पिरोने लगे हैं |
उधर धरती को भीगाने लगे हैं
इधर मेरे गालो को भीगने लगे हैं ||


बिजलियों  की गर्जना सुन रहा हूँ 
या मेरे सिसकियों की आवाज हैं |
सहेम जाता था  जिससे वही आवाज है
फ़रक बस ये मेरी ही दिल की बात है ||

आसमा पे कुछ बदल छाने लगे हैं
तेरी याद फिरसे दिलाने लगे  हैं |



....................................राहुल मिश्रा






 


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