ख्यालों की ख्वाबों की , मेरी अनोखी दुनिया है |
जहाँ बस मै हु ,मेरी और इस दुनिया का खुदा है ||
न डर है और न कोई, परेशानी महसूस होती है |
लक्ष्य जो सोचकर आया , करम भी वो ही होते हैं ||
न फिक्र है किसी की , न ही कोई जिक्र होता है |
मै बस मशगुल रहता हु ,अपनी ही दुनिया में ||
यु तो हर किसी की है ,अपनी सी ही एक दुनिया |
मगर सब के हालत नहीं ऐसे , जो देखे ये दुनिया ||
-------------राहुल मिश्रा
जहाँ बस मै हु ,मेरी और इस दुनिया का खुदा है ||
न डर है और न कोई, परेशानी महसूस होती है |
लक्ष्य जो सोचकर आया , करम भी वो ही होते हैं ||
न फिक्र है किसी की , न ही कोई जिक्र होता है |
मै बस मशगुल रहता हु ,अपनी ही दुनिया में ||
यु तो हर किसी की है ,अपनी सी ही एक दुनिया |
मगर सब के हालत नहीं ऐसे , जो देखे ये दुनिया ||
-------------राहुल मिश्रा
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