Tuesday, 15 August 2017

मेरी अपनी सी दुनिया

ख्यालों की ख्वाबों की , मेरी अनोखी  दुनिया है |
जहाँ बस मै हु  ,मेरी और इस दुनिया का खुदा है ||

न डर है और न कोई, परेशानी  महसूस होती है |
लक्ष्य जो सोचकर आया , करम भी वो ही होते हैं ||

न फिक्र है किसी की , न ही कोई जिक्र होता है |
मै बस मशगुल रहता हु ,अपनी ही दुनिया में ||

यु तो हर किसी  की  है ,अपनी सी ही एक दुनिया |
मगर सब के हालत नहीं  ऐसे , जो देखे  ये दुनिया ||

-------------राहुल मिश्रा

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