Saturday, 17 June 2017

विद्या गुरु और विद्यार्थी

1...............
समाज बदले  हैं, हालत बदले हैं ||

इस बदलते  दौर  में हम भी बदले हैं ||

न बदला कोई गुरु , बस ज्ञान के ठेकेदार बदले हैं||

समाज बदले हैं हालात बदले हैं||1 ||


2...................
तुम ज्ञान के सागर ,हम प्यासे भिखारी हैं ||

तुम पथप्रदरशक मेरे ,हम मूढ़ अज्ञानी ||

तुम हमको गढते हो ,हम मिट्टी पानी की ||

तेरे आसीस के खातिर ,हम सुबकुछ लुटा जाएँ ||

तुम ज्ञान क सागर ,हम प्यासे भिखारी हैं ||2||



----------------------राहुल मिश्रा

No comments:

Post a Comment

सत्य सिर्फ़ अंत है

सत्य सिर्फ़ अंत है  सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है  समय से ...