Sunday, 18 June 2017

मुझे और जीना सिखाने लगे हो

मुझे और जीना सिखाने लगे हो ,जैसे जैसे तुम पास आने लगे हो |

मोहबत के बस में है ये सारी दुनिया ,हमें भी मोहबत शिखाने लगे हो ||


यु तो मोहबत में मरता  है  जमाना ,गर हम मोहबत में जिए जा रहे हैं |

कितनी अनूठी है मेरी ये मोहबत , तेरी ही  खुशी में हसे जा रहे हैं ||


मालूम है मुझको तुम न हो मेरे , मगर फिर भी डगर पर तेरी चले जा रहे हैं |

कभी सूचता हूँ क्यों चाहते हैं  तुझको ? समझ में न आता कि क्या किये जा रहे हैं ||


डर ते नहीं हैं हम तो किसी से , क्यूंकि जिसम की चाहत नहीं हैं |

चाहत हमारी तो इतनी है पावन,मन से तुम्हे अक्सर पूजते हैं||


मुझे और जीना सिखाने लगे हो ,जैसे जैसे तुम पास आने लगे हो |


-------------------राहुल मिश्रा 


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