बड़ी नाज़ुक सी ये डोरी ,जो बँधे बँधन है||
समझ वालों को जो उलझाए , ऐसी ये निगोड़ी है|
बिना किसी के उलझाए,जो बड़ी उलझती है|
बड़ी नाज़ुक सी ये डोरी है ,जो बँधे बँधन है||
एक मीठी सी क़ड़वाहट , इसे तोड़ देती है|
मेरी मनो तो ऐ याऱों,संभलक़र बाँधो बँधन को|
अगर टुटे तो तोड़ेगें, हज़ारों बेकसुरो को|
बड़ी नाज़ुक शि ये डोरी है ,जो बँधे बँधन है||
--------------Rahul Mishra
समझ वालों को जो उलझाए , ऐसी ये निगोड़ी है|
बिना किसी के उलझाए,जो बड़ी उलझती है|
बड़ी नाज़ुक सी ये डोरी है ,जो बँधे बँधन है||
एक मीठी सी क़ड़वाहट , इसे तोड़ देती है|
मेरी मनो तो ऐ याऱों,संभलक़र बाँधो बँधन को|
अगर टुटे तो तोड़ेगें, हज़ारों बेकसुरो को|
बड़ी नाज़ुक शि ये डोरी है ,जो बँधे बँधन है||
--------------Rahul Mishra

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