Tuesday, 13 June 2017

मनोभाव

एक खाली प्याली को ,कोई अंदेशा न था |
इसमें भी भर जायेगीं सनेह  की बूंदे ,कोई संदेशा न था ||


एक छोटी शी पहेचन ,यूँ  लोगों क जुबान पर आएगी |
कुछ इठलाती ,कुछ बलखाती ,कुछ नोक-झोक भर जाएगी ||


पहले इन सनेह की बूंदों को ,मैं समझ ही नहीं  पाया था |
फिर धीरे -धीरे  कतरा -कतरा , प्याली भर आया था ||


अब लगता है इस प्याली में ,कुछ खाली बचा नहीं|
क्या करूँ इस प्याली का ,अब भरनेवाले साथ नहीं ||


अजब माजरा समय का है ये ,कुछ समझ नहीं मुझको आता |
जिन लोगो ने भरी ये प्याली ,उन लोगो को अब नहीं पाता||


एक खाली प्याली को ,कोई अंदेशा न था |........



-----------------राहुल मिश्रा

No comments:

Post a Comment

सत्य सिर्फ़ अंत है

सत्य सिर्फ़ अंत है  सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है  समय से ...