अरज है मेरी ये रब से, सुने फ़रियाद ये मेरी |
जिसका दीदार मैं चाहूं ,पलट कर देखले मुझको ||
तमन्ना रोज जगती है ,जब मैं घर से निकलता हूँ |
न जाने किस मोड़ पर ये नैना , दो से चार हो जाये ||
जिसका दीदार मैं चाहूं ,पलट कर देखले मुझको ||
तमन्ना रोज जगती है ,जब मैं घर से निकलता हूँ |
न जाने किस मोड़ पर ये नैना , दो से चार हो जाये ||