धड़कता है ये दिल मेरा, मेरी कमीज़ के अंदर|
उस कमीज़ के ऊपर ,एक ज़ेब है बड़ी सुंदर ||
उस ज़ेब में घर से मिले थे पैसे , बहुत ही कम |
थोड़ी सी शर्म थी उसमे , करम मेरा थे ना कम ||
जब मैं देखता था कुछ, अजब से ऐसे मंजर |
दिल करता था की मैं भूल जाऊ ,वो ज़ेब बड़ी सुंदर ||
फिर कुछ बातेयें याद आती हैं , कही थी कुछ लोगों ने |
मत भुलाना की ये ज़ेब , जो तेरी पहेचान है पगले ||
जो स्वाभिमान है तेरे ,और जो सम्मान है तेरा |
वे सरे तेरी ज़ेब से होकर ,बनते बिगड़ते हैं ||
धड़कने रोक न पाया , जो भी इस जग में है आया |
मैं भी रोक न पाऊं, जब ज़ेब अपनी सी कभी पाऊं ||
धड़कता है ये दिल मेरा, मेरी कमीज़ के अंदर|
उस कमीज़ के ऊपर ,एक ज़ेब थी बड़ी सुंदर ||.......
---------- ------राहुल मिश्रा
उस कमीज़ के ऊपर ,एक ज़ेब है बड़ी सुंदर ||
उस ज़ेब में घर से मिले थे पैसे , बहुत ही कम |
थोड़ी सी शर्म थी उसमे , करम मेरा थे ना कम ||
जब मैं देखता था कुछ, अजब से ऐसे मंजर |
दिल करता था की मैं भूल जाऊ ,वो ज़ेब बड़ी सुंदर ||
फिर कुछ बातेयें याद आती हैं , कही थी कुछ लोगों ने |
मत भुलाना की ये ज़ेब , जो तेरी पहेचान है पगले ||
जो स्वाभिमान है तेरे ,और जो सम्मान है तेरा |
वे सरे तेरी ज़ेब से होकर ,बनते बिगड़ते हैं ||
धड़कने रोक न पाया , जो भी इस जग में है आया |
मैं भी रोक न पाऊं, जब ज़ेब अपनी सी कभी पाऊं ||
धड़कता है ये दिल मेरा, मेरी कमीज़ के अंदर|
उस कमीज़ के ऊपर ,एक ज़ेब थी बड़ी सुंदर ||.......
---------- ------राहुल मिश्रा