Saturday 22 June 2019
Friday 12 April 2019
यादें
उस रोज़ किताबों के कुछ पन्ने मिल गए होंगे
जब हम इस जिंदगी से दूर निकल गए होंगे
याद आएंगे वो पल आखों में आंसू भर रहे होंगे
मगर हम जिंदगी से जिंदगी बिन लड़ रहे होंगे
चेहरे पे झूठी मुस्कान लेके, कितने पत्थर हो चुके होंगे
झूठी शान होगी, न जाने कहीं छुपी तेरी मुस्कान होगी
फिर गुदगुदाते कुछ लम्हे याद आएंगे, ख़ुशी के आँसू साथ लाएँगे
झूठी सही तू सामने होगी, वो कुछ पल झूठ में ही जी लिए होंगे
- ---राहुल मिश्रा
Sunday 31 March 2019
Friday 8 March 2019
तस्वीर
तेरी तस्वीर के किस्से, वर्षों पुराने हैं
दवा का काम करती हैं, आँसू आने पे
मै हारा थका होकर, जब भी मायूस होता हूँ
तुझे फिर देख लेता हूँ, तुझ ही में जी भी लेता हूँ
करू क्या फक्र अपनी, इस बेबसी पे मैं
तुझे खुश करके, खुद को तोड़ लेता हूँ
छोड़कर आ गया होता, सब कुछ कह अगर देती
कोई तकलीफ न होती, अगर तू सामने होती
तेरी मुस्कान पे देता, जान तू माँग गर लेती
ग़मों से लग गया होता, अगर तू मान भी लेती
जो तुम दर्द मुझ पे, भरोसा प्यार करते हो
कभी मुस्कान में अपनी, मुझे मुस्कान दे देती
नहीं छोड़ा हूँ मैं वो आश, जो बचपने में थी
इस गुड्डे की गुड़िया, आज भी वो चंचल पहेली है
अब चुप हूँ लेकिन, कलम एहसास देती है
मुझे तकलीफ़ देती हैं, तुझे नादान लगती है
....राहुल मिश्रा
Friday 25 January 2019
सर्दी की बारिश
फिर मौसम ने ली अंगड़ाई, सर्दी में बरसात हुई
जैसे सावन के सपनों की, रात सुहानी आज हुई
मन में कुछ मनोहारी पल की, यादें ताज़ा साज़ हुईं
ठिठुरन थी जो तन की मेरे, मन से मेरे हार हुई
आग की ओट को छोड़ चला मैं, सड़कें फिर गुलज़ार हुईं
चाय के नन्हें कुल्लड़ से, उनके हाथों की बात हुई
बून्द पड़ी थी तन पे मेरे, मन को मेरे सींच गई
लकिन फिर सर्दी से मेरी, उनकी भी तकरार हुई ||
---राहुल मिश्रा
Monday 21 January 2019
नज़रिया
मेरी जिंदगी वही थी, बस मायने अलग थे
सब रो के जी रहे थे, हम हस के पी रहे थे
सब रास्ते वही थे, सौ आँधियाँ चली थीं
सब सावन बने थे, मेरी आँख मिटचुकी थी
मेरी आँख मेरी कलम बन गयी है
मुस्कान की वज़ह भी कहीं है ?
जो इतनी हसी है, वो इतनी हसीं है
रोने ना देती, वो ऐसी परी है
हु अकेला सड़क पे, मेले सजे हैं
फ़रक पड़ता है क्या, जब दिखता वही है
मैं रहूँ ना रहूँ, ये दिल के मेले रहेंगे
ये चाहत रहेगी, कुछ अकेले रहेंगे
---राहुल मिश्रा
Tuesday 1 January 2019
दिल की पुकार
मेरे राग-राग में बसता है, तू कड़-कड़ में रहता है
सुना है चंद लोगों से, हवा में रह के बेहता है
हवायेँ रोज़ चलती हैं, मुझसे होकर गुजरती है
किसी दिन उन हवाओं में, बस दो पल ही बाँहों में
तूँ भेज दे उसको, नाम है जिसका मेरी हर दुवाओँ में
तूँ भी थक गया होगा, मेरी एक ही ख़्वाहिश से
हर रोज उठती, मेरी एक ही फ़रमाइश से
जब तक साँस देगा तू, मुझे अल्फ़ाज़ देगा तू
मुक़म्मल हर क़लम, उसी का नाम लिखेगी
तेरे चरणों में उसे पाने का अरमान लिखेगी
अगर तू बाँध ना पाया, वो डोरी सात जन्मों की
तरस खाकर सही मुझे, बस यही अंजाम दे देना
अगले जनम भी मुझे यही एहसास दे देना
---राहुल मिश्रा
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सत्य सिर्फ़ अंत है
सत्य सिर्फ़ अंत है सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है समय से ...
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मंदिर मस्ज़िद उसको पूजा, मैं उसका दीदार करूँ कह दूँ था जो तेरे दर पर, सब क़िस्सा अल्फ़ाज़ करूँ मंदिर मस्ज़िद उसको पूजा, मैं उसका दीदा...
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तू सामने बैठे मैं फूट के रो लूँ सब कह दूँ, तेरी तकलीफ़ भी सुन लूँ मेरी बेबसी सब उस दिन तू जान जाएगी मेरी खुशियों की वजह तू पहचान...
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धुंध है घनी या अँधेरा घना है मगर एक रोज सवेरा फ़ना है राहें अलग हों चाहे फ़लक हों मिलन की उमीदें हमेशा गगन हों मैं थक भी जाऊ, कदम डगमगाए ...