Friday 12 April 2019

यादें

उस रोज़ किताबों के कुछ पन्ने मिल गए होंगे
जब हम इस जिंदगी से दूर निकल गए होंगे


याद आएंगे वो पल आखों में आंसू भर रहे होंगे
मगर हम  जिंदगी से जिंदगी बिन लड़ रहे होंगे


चेहरे पे झूठी मुस्कान लेके, कितने पत्थर हो चुके होंगे
झूठी शान होगी, न जाने कहीं छुपी तेरी मुस्कान होगी 


फिर गुदगुदाते कुछ लम्हे याद आएंगे, ख़ुशी के आँसू साथ लाएँगे
झूठी सही तू सामने होगी, वो कुछ पल झूठ में  ही जी लिए होंगे   

                                                       

                       - ---राहुल मिश्रा 


सत्य सिर्फ़ अंत है

सत्य सिर्फ़ अंत है  सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है  समय से ...