Thursday 13 April 2023

सत्य सिर्फ़ अंत है

सत्य सिर्फ़ अंत है


 सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है,
फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है,
किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है 
समय से मजबूर है, मानता तू क्यों, खुद को हुजूर है || 1||
 सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है 

लाखों हस्तियाँ गयीं, लाखों कुर्सियाँ गयीं,
लाखों लाखों छोड़ के, ख़ाली हथेलियाँ गयीं,
तू सोचता मंज़िल, तू खोजता ठिकाना है,
मंज़िल तो अंत है, सबसे सुखी तो संत है || 2||
 सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है

माया नगरी न मुंबई, माया पूरा संसार है,
मृगतृष्णा का भ्रम है, जीव सोचता अनन्त है,
तू भाग ले, तू जाग ले, पर्वतों को पार ले,
जीत ले तू सबकुछ, लेकिन हार तो अंत है ||3||    
 सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है

                                                    ---डॉ राहुल मिश्रा




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