Tuesday 27 November 2018
Subscribe to:
Posts (Atom)
सत्य सिर्फ़ अंत है
सत्य सिर्फ़ अंत है सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है समय से ...
-
मंदिर मस्ज़िद उसको पूजा, मैं उसका दीदार करूँ कह दूँ था जो तेरे दर पर, सब क़िस्सा अल्फ़ाज़ करूँ मंदिर मस्ज़िद उसको पूजा, मैं उसका दीदा...
-
तू सामने बैठे मैं फूट के रो लूँ सब कह दूँ, तेरी तकलीफ़ भी सुन लूँ मेरी बेबसी सब उस दिन तू जान जाएगी मेरी खुशियों की वजह तू पहचान...
-
धुंध है घनी या अँधेरा घना है मगर एक रोज सवेरा फ़ना है राहें अलग हों चाहे फ़लक हों मिलन की उमीदें हमेशा गगन हों मैं थक भी जाऊ, कदम डगमगाए ...