Friday 13 April 2018

मौसम और मेरा दिल

मौसम बदल गया मंदिर का, मस्ज़िद गिरिजा बदले
जिस दिन वो न आए पनघट, हम बूंद -बूंद को तरसे 


गलियाँ भी अब सुनी पड़ गई, सुनी हो गयी धरती
सुख गयी सारी कलियाँ जब, वो मिलने को तरसी
 


एक संदेशा आया तब, जो था उनकी जुबान में
बहुत दूर अब चली गयी, ना आऊँ नज़र-ए-बान में 


यह संदेशा था या था, कोई छोटी चिंगारी
लगा गया जो आग जहाँ, सुख गयी थी क्यारी


फिर मौसम ने ली एक करवट, मंज़र भी फिर बदल गया
वो आयेंगे इन गलियों में यह संदेशा पसर गया


फिर बादल झूम के बरस उठे, बहने लगी पुरवाई
भौरों की गुंजार ने फिर, बंसी मधुर बजाई 


लो आ गये वो अमृत बन के, महकाने फूलवारी
गलियों में भी हुआ है उत्सव, त्योहारों की तैयारी 


इन नैनों में जो आशु थे, वो बन बैठे हैं मोती
मायूशी अब सरमा के बोली, मोती रह तू मोती ||


                                  ...राहुल मिश्रा                   

सत्य सिर्फ़ अंत है

सत्य सिर्फ़ अंत है  सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है  समय से ...