Sunday 31 March 2019
Friday 8 March 2019
तस्वीर
तेरी तस्वीर के किस्से, वर्षों पुराने हैं
दवा का काम करती हैं, आँसू आने पे
मै हारा थका होकर, जब भी मायूस होता हूँ
तुझे फिर देख लेता हूँ, तुझ ही में जी भी लेता हूँ
करू क्या फक्र अपनी, इस बेबसी पे मैं
तुझे खुश करके, खुद को तोड़ लेता हूँ
छोड़कर आ गया होता, सब कुछ कह अगर देती
कोई तकलीफ न होती, अगर तू सामने होती
तेरी मुस्कान पे देता, जान तू माँग गर लेती
ग़मों से लग गया होता, अगर तू मान भी लेती
जो तुम दर्द मुझ पे, भरोसा प्यार करते हो
कभी मुस्कान में अपनी, मुझे मुस्कान दे देती
नहीं छोड़ा हूँ मैं वो आश, जो बचपने में थी
इस गुड्डे की गुड़िया, आज भी वो चंचल पहेली है
अब चुप हूँ लेकिन, कलम एहसास देती है
मुझे तकलीफ़ देती हैं, तुझे नादान लगती है
....राहुल मिश्रा
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