Monday 30 July 2018

मसान


समझ से है परे बिलकुल, मन जा नहीं सकता 
हर ख्वाब को हकीकत में, बदला जा नहीं सकता 


मन सोचता है क्या, हकीकत को फ़साने को 
सपने थे मगर सपने, न अपने कहने को 

ये जीवन नाम है, महज़ एक पहेली का 
अक़्सर मात मिलती है, कुछ जीत जाने को  


ऐसी साज़-सज्ज़ा है, सबको लुभाने को 
मगर आते हैं सब अपना, बस रंग ज़माने को  


नम आँख से आए, एक रोज मुस्काए 
खली हथेली थी, जब मसान को आये ||


समझ से है परे बिलकुल, मन जा नहीं सकता 
हर ख्वाब को हकीकत में, बदला जा नहीं सकता

                                                 ---राहुल  मिश्रा 


Friday 13 July 2018

आँसू का रिश्ता

चंद पन्नों  में सिमटी हुई जिंदगी  

आँसुओ से भिगोती है ये जिंदगी  


मौका जब था ख़ुशी का आँख नम कर दिया
ग़म  में आखों को ग़म से तर-बतर कर दिया 


ऋतू चाहे जो हो मौसम फ़र्क क्या पड़ा
बारिसों में बस आँखों पे परदा पड़ा  


थी गर्मी जब बस  उसम से भरी
आँखों में ना जाने क्या सुलगा दिया


धुंध में जब सब धुंधला हुआ
बर्फ़ में फिर आँसू पिघला हुआ  


आँख जब तक है आँसू आयेंगे ही
खुशी ग़म में रुलायेंगे भी
 

मुस्कुराते हुए, आँसू ख़ुशियों के लिए
एक दिन हम जहाँ से जायेंगे भी || 


चंद पन्नों  में सिमटी हुई जिंदगी
आँसुओ से भिगोती है ये जिंदगी ...


                        ---राहुल मिश्रा 


सत्य सिर्फ़ अंत है

सत्य सिर्फ़ अंत है  सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है  समय से ...