Wednesday 22 August 2018

रुखसार

मैं अनोखा अनकहा सा, एक कहानी बन गया 

कुछ हवा के झोकों संग, यूँ ही बहता रह गया ||  

 

अब मेरी पहचान क्या, मैं ढूँढता गलियों में हूँ 

तब सरल वो सुन ना पाया, आज पत्थर बाँटता हूँ ||  

 

तब हँसी थी, जब ख़ुशी थी, होठों पे मुस्कान भी  

अब हँसी है, नम खुशी है, बनती है मुस्कान भी ||  

 

दूरी कम है कहे भी देते, फासले आकाश के  

गर अब हम कहे ना पाते, सामने रुखसार के ||


मैं अनोखा अनकहा सा, एक कहानी बन गया 

कुछ हवा के झोकों संग, यूँ ही बहता रह गया ||  ....


                                     ...राहुल मिश्रा    


सत्य सिर्फ़ अंत है

सत्य सिर्फ़ अंत है  सत्य सिर्फ़ अंत है, बाक़ी सब प्रपंच है, फैलता पाखण्ड है, बढ़ता घमण्ड है, किस बात का गुरुर है, तू किस नशे में चूर है  समय से ...