Friday 25 January 2019

सर्दी की बारिश

फिर मौसम ने ली अंगड़ाई, सर्दी में बरसात हुई 

जैसे सावन के सपनों की, रात सुहानी आज हुई 


मन में कुछ मनोहारी पल की, यादें ताज़ा साज़ हुईं

ठिठुरन थी जो तन की मेरे, मन से मेरे हार हुई 


आग की ओट को छोड़ चला मैं, सड़कें फिर गुलज़ार हुईं 

चाय के नन्हें कुल्लड़ से, उनके हाथों की बात हुई 


बून्द पड़ी थी तन पे मेरे, मन को मेरे सींच गई 

लकिन फिर सर्दी से मेरी, उनकी भी तकरार हुई || 


                    ---राहुल मिश्रा  


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